लेखनी कविता -11-Jun-2022
पिया की दुल्हन
आंगन में खेलती एक प्यारी तितली,
है चंचल और सुंदर दिल की
होती गई बड़ी वो खुद से
सजाए पिया के अरमान दिल में
आ ही गया वक्त अब विदा होने का
बाबुल का आंगन छोड़ने का
रचाए मेहंदी अपने हाथों में पिया के नाम की,
कर रही इंतजार पिया घर जाने का
दुल्हन की है आंखे थोड़ी नम
है बिरह की घड़ी और थोड़ा गम
है पिया को आस मिलन की
दुल्हन भी है थोड़ी शर्माती हुई सी
नंदिता राय
14-Jun-2022 06:38 PM
बेहतरीन
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Shnaya
14-Jun-2022 02:26 PM
बहुत खूब
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Reyaan
13-Jun-2022 11:49 AM
बहुत खूब
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